उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने P C मोदी को Returning Officer नियुक्त किया है। इस निर्णय पर विपक्ष का कहना है कि यह अचानक लिया गया फैसला है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से खामियाजा पैदा कर सकता है।
देश की केन्द्रीय चुनाव संस्था ने राज्यसभा सचिवालय के महासचिव P C मोदी को आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव का Returning Officer सौंपा है। उनकी नियुक्ति चुनावी तैयारी शुरू होने के साथ हुई है। हालांकि इस निर्णय पर विपक्ष ने आपत्ति जताई है और कहा है कि यह फैसला जल्दबाजी में और बिना पारदर्शिता के किया गया है। उन्होंने यह निश्चित करने की मांग की है कि चुनाव की तिथि और प्रक्रिया संविधान द्वारा तय मानकों के अनुरूप हो।
विपक्ष की आपत्ति का आधार
P C मोदी की नियुक्ति को लेकर पहले से ही विवाद था। नवंबर 2021 में उन्हें अचानक राज्यसभा का महासचिव बनाया गया था, जबकि पद पर पहले नियुक्त व्यक्ति को चुटकी भर समय बाद हटाया गया था। इस बदलाव पर कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए थे। विपक्ष का कहना है कि इस तरह की नियुक्ति संविधान और परंपरा दोनों के खिलाफ है, और चुनाव प्रक्रिया में अपेक्षित निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है
चुनाव आयोग की प्रक्रिया कैसे चलेगी
चुनाव आयोग ने Returning Officer के साथ दो सहायक अधिकारी गरिमा जैन और विजय कुमार को भी नियुक्त किया है। अब चुनाव की नोटिफिकेशन जारी होगी, नामांकन भरे जाएंगे, उनका सत्यापन होगा और मतदान कार्यक्रम तय किया जाएगा। यह सभी गतिविधियाँ तय समयबद्ध ढंग से संविधान की धारा 66 और 324 के अंतर्गत संपन्न की जाएंगी
चुनाव प्रक्रिया का विश्वास और चुनौती
जब Returning Officer विवादों में घिरा हो, तो उसकी तटस्थता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। विपक्ष का कहना है कि P C मोदी की भूमिका चुनाव की निष्पक्षता के लिए चिंता का विषय हो सकती है। वहीं चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी गतिविधियाँ कानूनी रूप से सही और स्वतंत्र रूप से आयोजित की जाएंगी। अब नागरिकों की निगाह इस पर है कि क्या आगामी चुनाव बिना किसी विवाद के सम्पन्न होगा या राजनैतिक टकराव बढ़ेगा।