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Wednesday, August 6, 2025
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इंदौर पुलिस ने 19 शातिर बदमाशों पर कसी नकेल, 10 कुख्यात अपराधी जिलाबदर और 9 पर थाना हाजिरी की सख्त पाबंदी

इंदौर शहर में लगातार अपराधों को अंजाम देने वाले 19 शातिर बदमाशों पर पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह के निर्देशन में कड़ी कार्रवाई की गई है। 10 कुख्यात अपराधियों को जिलाबदर करते हुए इंदौर व लगते जिलों की सीमा से निष्कासित किया गया है, साथ ही 9 अपराधियों को थाना हाजिरी के आदेश दिए गए हैं, जिससे वे किसी भी अवैधानिक गतिविधि में शामिल न हो सकें।

पुलिस आयुक्त कार्यालय के अनुसार, इन अपराधियों ने शहर की शांति व्यवस्था भंग करने के साथ आम जनता में भय का माहौल बना रखा था। बार-बार मिलने वाले अपराधों के रिकॉर्ड और पुलिस रिपोर्ट के आधार पर 10 अपराधियों, जिनमें फैजान उर्फ टिन्ना, मौरा उर्फ मोरध्वज, गौरव भाट, अजय उर्फ टीटी राणा, विशाल करोसिया, सौरभ उर्फ सन्नाटा, श्याम उर्फ टिम्मा, मनोज उर्फ भोंडा, आनंद उर्फ अन्नू और शुभम उर्फ तंबोली शामिल हैं, को एक साल या छह महीने के लिए इंदौर और आसपास के जिलों से बाहर कर दिया गया है। इन सभी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमे पहले से पंजीबद्ध हैं।

जिलाबदर और थाना हाजिरी के प्रावधानों की सख्त पालना

शहर में अपराध रोकने के लिए जिन बदमाशों को जिलाबदर किया गया है, वे निर्धारित अवधि में इंदौर और सीमावर्ती जिलों में नहीं आ सकेंगे। इनके शहर में प्रवेश करने या अपराध की कोशिश करते ही उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं जिन 9 अपराधियों को निर्बन्धन (थाना हाजिरी) का आदेश मिला है, उन्हें रोज़ाना संबंधित थाने में रिपोर्ट करना अनिवार्य है और किसी भी अवैध गतिविधि से दूरी बरतनी होगी। इन नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस तुरंत इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी।

इंदौर पुलिस की त्वरित, कठोर और सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता

इंदौर पुलिस लगातार बदमाशों पर नजर रखते हुए समय-समय पर कठोर प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर रही है। जिले की सार्वजनिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और नागरिकों की शांति के लिए लगातार इस तरह की सख्त कार्यवाहियां जरूरी मानी गई हैं। प्रतिबंधित अपराधियों पर पुलिस का शिकंजा कसना न केवल अपराधियों के मनोबल को तोड़ता है, बल्कि आम जनता में पुलिस के प्रति विश्वास भी बढ़ाता है। पुलिस विभाग ने शहरवासियों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति के बारे में सूचना तुरंत पुलिस को दें ताकि अपराधों पर और अधिक सख्ती लाई जा सके।

साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित को मिली राहत, 323 गवाह, 34 मुकर गए, 30 की मौत, 17 साल पुराने केस में कोर्ट ने कहा- आरोप साबित नहीं हो सके

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मालेगांव बम विस्फोट केस, जिसमें हिंदू राइट विंग से जुड़े नामों का आरोप था, 17 साल की लंबी प्रक्रिया के बाद न्यायिक निष्कर्ष पर पहुंचा। NIA कोर्ट ने सबूतों की कमी और जांच में तकनीकी खामियों के चलते सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि हादसे में इस्तेमाल हुई बाइक का मालिकाना और धमाके की साजिश साबित नहीं हो सकी।

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए इस ब्लास्ट में आईईडी बाइक पर लगाकर धमाका किया गया था। शुरुआती जांच ATS ने की और बाद में NIA को केस सौंपा गया। NIA ने भी चार्जशीट दाखिल की, लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान 323 गवाहों की परीक्षा हुई, जिसमें बड़ी संख्या में गवाह मुकर गए और कई गवाहों की मौत हो गई। कोर्ट ने कहा की बाइक का चेसिस नंबर रिकवर नहीं हुआ, घटनास्थल से फिंगरप्रिंट या अन्य पुख्ता सबूत सामने नहीं आए। मेडिकल रिपोर्ट्स में भी भिन्नता रही। अंत में, कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया, जिससे यह फैसला कानून और जांच प्रक्रिया को लेकर मिसाल बन गया।

केस की पूरी टाइमलाइन, जांच, गवाह और बदलते फैसले

2008 में हुए धमाके के बाद ATS जांच में 12 गिरफ्तारियां हुई थीं, जिनमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित शामिल थे। बाद में NIA ने कई आरोपियों को क्लीनचिट भी देने की सिफारिश की, पर 2017 में कोर्ट ने सातों आरोपियों पर ट्रायल चलाने का आदेश दिया। केस की सुनवाई 2018 में शुरू हुई और 2024 तक 34 गवाह पलट गए, जबकि 30 से ज्यादा की गवाही से पहले मौत हो गई। इस केस की सुनवाई में चार जज और तीन जांच एजेंसियां बदल चुकी हैं। अंतिम बहस अप्रैल 2024 में पूरी हुई थी, और अब कोर्ट ने सबूतों के अभाव और जांच में कमियों के चलते सभी आरोपियों को बरी किया है।

कोर्ट के फैसले का व्यक्तिगत और सामाजिक असर

इस फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित जैसे हाई-प्रोफाइल नामों को राहत मिली है। कोर्ट रूम में फैसले के बाद शांति रही, और पीड़ित पक्ष व अभियोजन पक्ष में मायूसी दिखाई दी। कोर्ट के फैसले से स्पष्ट है कि केवळ आरोपों और प्रारंभिक जांच पर मामले को टिकाए रखना पर्याप्त नहीं, पुख्ता सबूत और प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक है। इस फैसले के बाद भविष्य की जांच प्रक्रियाओं को लेकर बड़ी सीख भी सामने आई है, स्पष्ट साक्ष्य, पारदर्शिता और निष्पक्षता के बिना इतने गंभीर मामलों में सजा संभव नहीं हो सकती।

इंदौर मल्हारगंज थाना का “नशे के विरुद्ध जन-जागरूकता अभियान” सफल समापन, छात्राओं ने पेंटिंग में दिखाई प्रतिभा, पुरस्कार बांटे गए

थाना मल्हारगंज, इंदौर द्वारा चलाए गए नशामुक्ति अभियान का आज समापन हुआ। समापन कार्यक्रम विद्यालय में आयोजित किया गया, जिसमें छात्राओं ने ड्रग्स के विरुद्ध अपनी सोच को पेंटिंग के माध्यम से दिखाया। चयनित विजेता छात्राओं को पुलिस द्वारा पुरस्कृत कर हौसला बढ़ाया गया और सभी को नशे के खिलाफ आवाज उठाने हेतु प्रेरित किया गया।

“नशे के विरुद्ध जन-जागरूकता अभियान” के अंतिम दिन शासकीय शारदा कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ड्रग्स विरोधी कार्यक्रम संपन्न हुआ। यहां पूर्व में आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता की विजेता छात्राओं को सर्टिफिकेट व पुरस्कार भेंट किए गए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्राओं और युवाओं में नशे के नुकसान की जानकारी देना और समाज में जागरूकता फैलाना था। अतिपुलिस उपायुक्त आलोक शर्मा ने बच्चों को संबोधित करते हुए नशे की प्रवृत्ति पर चिंता जताई और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली, पढ़ाई लेखन, कला और खेल से जुड़ने की प्रेरणा दी। पुलिस टीम द्वारा उपस्थित छात्राओं को जिम्मेदार नागरिक बनकर समाज में बदलाव लाने का संदेश दिया गया।

पेंटिंग प्रतियोगिता का असर

अभियान के दौरान छात्राओं द्वारा बनाए गए पेंटिंग्स ने नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई। रचनात्मकता के जरिये बच्चों ने बताया कि नशा किस तरह परिवार, करियर और सामाजिक समरसता को प्रभावित करता है। इस तरह की गतिविधियां बच्चों में न सिर्फ सामाजिक जिम्मेदारी की भावना मजबूत करती हैं बल्कि स्वच्छ, स्वस्थ समाज की नींव भी रखती हैं। विद्यालय स्टाफ ने भी थाना मल्हारगंज के अभियान की सराहना की और आगे भी पुलिस-पब्लिक सहभागिता से ऐसे कार्यक्रम कराने की बात कही।

जागरूकता के सफर का समापन, आगे के लिए प्रेरणा

अभियान के सफल समापन पर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह जागरूकता यात्रा केवल एक पहल नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को नशे से दूर रखने की सतत कोशिश है। विद्यालयों, खेल मैदानों और जनसमूहों में लगातार चले इस अभियान से इंदौर के हजारों युवाओं और नागरिकों को नशा छोड़ने, सकारात्मक सोच अपनाने और समाज के प्रति जागरूक होने का संदेश मिला है।
पुलिस प्रशासन ने सभी छात्राओं, अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की कि वे नशे के खिलाफ जागरूकता की इस मुहिम को हर गली, मोहल्ले और परिवार तक पहुंचाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी नशामुक्त और स्वस्थ समाज की ओर बढ़ सके।

इंदौर-खंडवा रोड हादसा, तेज रफ्तार आयशर की टक्कर से कांवड़िए की मौत, यात्री की हालत नाजुक, प्रशासन ने भारी वाहनों पर लगाई पाबंदी

चोरल और ग्वालू के बीच हुए इस हादसे में घायल सभी लोग इंदौर के एरोड्रम क्षेत्र के बताए जा रहे हैं। मृतक युवक का नाम आदर्श है और गंभीर रूप से घायल ध्रुव समेत सभी घायलों को इलाज के लिए एमवाय अस्पताल पहुंचाया गया है। टक्कर के बाद आयशर चालक फरार है, गाड़ी जब्त कर पुलिस खोजबीन में जुटी है।

बुधवार शाम इंदौर-खंडवा रोड पर ओंकारेश्वर से उज्जैन जा रहे कांवड़ यात्रियों के लिए हादसा काल बन गया। आयशर वाहन ने सात कांवड़ियों को टक्कर मार दी, जिसमें आदर्श नामक युवक की घटनास्थल पर मौत हो गई और ध्रुव की हालत गंभीर बनी हुई है। बाकी 5 को भी चोटें आई हैं। सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी तुरंत पहुंच गए और सभी घायलों को एमवाय अस्पताल लाया गया, जहां इलाज जारी है। आयशर का चालक मौके से भाग गया, लेकिन गाड़ी पुलिस ने जब्त कर ली है। अधिकारियों ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए भविष्य के लिए सुरक्षा इंतजामों के निर्देश दिए हैं।

सुरक्षा के लिए श्रावण माह में भारी वाहनों पर पाबंदी

श्रावण महीने में हजारों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा के लिए सड़कों पर निकलते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने खंडवा रोड पर सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक भारी मालवाहक वाहनों का संचालन पूरी तरह बंद कर दिया है। प्रशासन के आदेशानुसार ट्रक, आयशर जैसे बड़े वाहन इस दौरान वैकल्पिक मार्ग (एबी रोड, सनावद रास्ता) से ही भेजे जाएंगे। जरूरी सेवाओं जैसे बस, एम्बुलेंस, दूध-सप्लाई, पानी और फायर ब्रिगेड वगैरह को छूट दी गई है। अगर कोई चालक नियम तोड़ेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। प्रशासन का यह कदम श्रद्धालुओं की जान-माल की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है।

कांवड़ यात्रियों के लिए प्रशासन की विशेष व्यवस्था और अपील

कांवड़ यात्रा के दौरान जिला व पुलिस प्रशासन ने सड़कों पर अलग से सुरक्षा व्यवस्था और मेडिकल सहायता मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। यात्रियों से अपील की गई है कि वे तय रास्ते पर ही चलें और यातायात नियमों का पालन करें। एनाउंसमेंट के जरिये लोगों को लगातार सतर्क रहने और वैकल्पिक मार्गों के प्रति जानकारी दी जा रही है। अफसरों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में तुरंत मेडिकल और पुलिस मदद उपलब्ध कराई जाएगी। इस घटना के बाद प्रशासन ने संबंधित इलाकों में पेट्रोलिंग व चेकिंग और बढ़ा दी है ताकि भविष्य में फिर कोई हादसा न हो।

खरगोन में नागपंचमी पर मंदिरों में उमड़ी आस्था, नागदेवता और शिवालयों में सुबह से देर शाम तक पूजन, श्रद्धालुओं ने मांगी कल्याण की कामना

खरगोन में नागपंचमी के मौके पर मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखने को मिली। नागमंदिरों व शिवालयों पर श्रद्धालुओं ने दूध, जल, सिंदूर आदि से नागदेवता व भगवान शिव का पूजन किया। लोगों ने नागभय से मुक्ति और सुख-शांति के लिए प्रार्थना की। शहर के प्रमुख मंदिरों में पूरे दिन धार्मिक आयोजन चलते रहे।

पंचमी तिथि पर नागपंचमी का पर्व पूरे जिले में हर्षोल्लास से मनाया गया। सुबह शुरू हुआ मंदिरों में दर्शन-पूजन का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। दामखेड़ा मंदिर, बीटीआई रोड के मोटा भिलट देव मंदिर, डीआईजी कार्यालय के सामने स्थित नाग मंदिर और अन्य शिवालयों में हजारों श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक और पूजन किया। हर जगह भक्तों ने परंपरागत सामग्री जैसे दूध, जल, सिंदूर और फूल अर्पित कर अपने परिवार के सुख, शांति और नागदेवता की कृपा की कामना की। नाग मंदिरों की सजावट और धार्मिक अनुष्ठानों से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिरस से सराबोर रहा।

प्रमुख मंदिरों और आयोजन स्थलों की खास रौनक

खरगोन शहर से बाहर दामखेड़ा मंदिर, बीटीआई रोड का मोटा भिलट देव और डीआरपी लाइन के पंचमुखी भिलट देव मंदिर इस बार भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने। यहां सुबह से लेकर देरशाम तक भक्तों का तांता लगा रहा। पुलिस प्रशासन द्वारा व्यवस्था बनाए रखने के इंतजाम किए गए। इसके अलावा डीआईजी कार्यालय के सामने स्थित नाग मंदिर, साथ ही शहर के दर्जनों अन्य मंदिरों में भी दिनभर नागदेवता का विशेष पूजन, हवन और भजन-कीर्तन हुए। महिलाओं और बच्चों ने परंपरागत वस्त्रों में पूजा की, युवाओं ने शिव मंत्र और नागदेवता की कथाएं सुनीं।

नागपंचमी की मान्यता और श्रद्धा का संदेश

नागपंचमी का पर्व भगवान शिव के गले में वास करने वाले नागदेवता को समर्पित है। लोक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नागदेवता और भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को नागभय से मुक्ति, परिवार की सुरक्षा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। दंतकथाओं और पुराणों के अनुसार, दूध अर्पित करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं। खरगोन में भी इस पुराने विश्वास के साथ हर उम्र के श्रद्धालु मंदिरों में उमड़े। कई परिवारों ने सांपों का संरक्षण और प्रकृति के प्रति जागरूकता का भी संदेश दिया। मंदिर प्रांगण में आयोजित सत्संग और भजन संध्या में श्रद्धा और उत्साह साफ नजर आया।

इंदौर मल्हारगंज थाना के चौदहवें दिन नशे के विरुद्ध जन-जागरूकता अभियान में खेल प्रशिक्षकों के साथ खिलाड़ियों को मिला नशा छोड़ने का संदेश

नशे के खतरे को लेकर थाना मल्हारगंज ने खेल प्रशिक्षकों के साथ मिलकर खिलाड़ियों को अनुशासित जीवन व टीम भावना अपनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में नशा मुक्ति की शपथ दिलाई गई और जागरूकता पंपलेट्स वितरित किए गए। यह पहल युवाओं को सही दिशा दिखाने और नशामुक्त समाज का निर्माण करने का प्रयास है।

29 जुलाई 2025 को थाना मल्हारगंज के नेतृत्व में नशे के विरुद्ध जन-जागरूकता अभियान के चौदहवें दिन खेल परिसर में विशेष कार्यक्रम हुआ। यहां खेल कोचों की मदद से खिलाड़ियों को नशे के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक प्रभावों से अवगत कराया गया। प्रतिभागियों को नशे से दूर रहने तथा अनुशासन और टीम भावना के माध्यम से समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम के अंत में नशा मुक्ति की शपथ दिलाई गई और जागरूकता पंपलेट्स वितरित किए गए। यह प्रयास युवाओं को नशामुक्त जीवन की ओर बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

खेल और नशा मुक्त जीवन के बीच मजबूत जुड़ाव

खेलकूद प्रतिभागियों में अनुशासन, लक्ष्य निर्धारण और शरीर-मन के संतुलन की भावना होती है। इसलिए खेल के क्षेत्र में नशे से दूरी का संदेश देना बेहद जरूरी है। इस कार्यक्रम में प्रशिक्षकों ने खिलाड़ियों को बताया कि नशा उनके खेल को प्रभावित करने के साथ-साथ उनकी सेहत और मानसिक स्थिति के लिए भी नुकसानदायक है। जागरूकता अभियान युवाओं के बीच गलत आदतों से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरणा का जरिया बनता है।

पुलिस की निरंतर सक्रियता से बढ़ती युवाओं में जागरूकता

थाना मल्हारगंज लगातार नशा विरोधी अभियानों के जरिए समुदाय में जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है। पुलिस की यह पहल युवाओं को सही मार्ग पर लाने और नशे के खिलाफ सामाजिक सतर्कता बढ़ाने में सहायक है। ऐसे कार्यक्रमों से युवा नशामुक्ति के महत्व को समझते हैं और एक स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान देते हैं। नशामुक्ति की शपथ और सामूहिक जागरूकता से नशा विरोधी अभियान को मजबूती मिलती है।

इंदौर क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई, ब्राउन शुगर के साथ हिस्ट्रीशीटर रवि काला गिरफ्तार, ड्रग तस्करी के काले धंधे का खुलासा

इंदौर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शहर की सड़कों पर फैले नशे के जाल पर एक और बड़ा प्रहार किया है। 52 वर्षीय हिस्ट्रीशीटर रवि उर्फ काला रघुवंशी को राजकुमार सब्जी मंडी के पास पकड़ा गया, जिसके पास से 11.78 ग्राम ब्राउन शुगर बरामद हुई। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी सस्ते में ड्रग्स खरीदकर महंगे दामों पर बेचता था और खुद भी नशा करता है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर चलाए जा रहे अभियान के तहत क्राइम ब्रांच लगातार अवैध मादक पदार्थों की तस्करी पर नजर बनाए हुए है। इसी श्रृंखला में पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि राजकुमार सब्जी मंडी इलाके में एक संदिग्ध घूम रहा है। पुलिस टीम ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी रवि काला को घेराबंदी कर पकड़ा। तलाशी में उसके पास से अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग दो लाख कीमत की 11.78 ग्राम ब्राउन शुगर मिली। पूछताछ में रवि ने स्वीकार किया कि वह पिछले काफी समय से नशे का आदी है और ड्रग्स बेचकर अपनी लत पूरी करता है। आरोपी के खिलाफ थाना अपराध शाखा में NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई जारी है।

हिस्ट्रीशीटर के पुराने रिकॉर्ड और तस्करी का नेटवर्क

रवि काला इंदौर पुलिस के लिए नया नाम नहीं है। वह पहले भी करीब तीन दर्जन आपराधिक मामलों में जेल जा चुका है। उसकी पूरी पहचान एक पुराने हिस्ट्रीशीटर और ड्रग तस्कर के तौर पर है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, रवि मजदूरी के साथ-साथ ड्रग्स की तस्करी करता था ताकि अपनी नशे की लत और आर्थिक जरूरतें पूरी कर सके। पुलिस द्वारा बरामद ब्राउन शुगर की मात्रा भले ही कम लगे, लेकिन इतनी मात्रा शहर में कई युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर सकती थी। पुलिस अब आरोपी के लॉजिस्टिक्स, सप्लायर और खरीददार नेटवर्क की भी तफ्तीश कर रही है, ताकि शहर में फैले ऐसे नेटवर्क का पूरा पर्दाफाश किया जा सके।

नशे के खिलाफ इंदौर पुलिस का सतत अभियान

इंदौर पुलिस कमिश्नरेट लंबे समय से नशे के धंधे में लिप्त अपराधियों पर लगातार सख्त कार्रवाई कर रहा है। वरिष्ठ अधिकारी लोगों से भी अपील कर चुके हैं कि वे अपने इलाके में संदिग्ध गतिविधियों, नशा बेचने या सेवन करने वालों की जानकारी पुलिस को दें। पुलिस की यह मुहिम इसलिए जरूरी है क्योंकि नशा तस्करी का सीधा असर समाज की नई पीढ़ी पर पड़ रहा है। NDPS एक्ट के तहत पुलिस लगातार सक्रियता दिखा रही है और ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है।
आगे भी पुलिस ने साफ कर दिया है कि ड्रग्स बेचने, खरीदने या इसमें सहयोग करने वालों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी, ताकि इंदौर को नशामुक्त और सुरक्षित शहर बनाया जा सके।

इंदौर क्राइम ब्रांच ने फर्जी ऋण पुस्तिका गिरोह के 3 साल से फरार आरोपी को पकड़ा, अब तक 37 गिरफ्तारियाँ

इंदौर पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम को फर्जी ऋण पुस्तिका से जमानत दिलवाने के रैकेट में तीन साल से छिपे आरोपी को दबोचने में बड़ी सफलता मिली है। अब तक की कार्रवाई में कुल 37 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। गिरोह के सदस्य खुद या दूसरों को फर्जी जमानतदार बनाकर गंभीर केसों में कोर्ट से अवैध तरीके से जमानत दिलवा रहे थे।

शहर में धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम के लिए पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और डीसीपी क्राइम के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी। इसी जांच के दौरान एसआईटी ने पुराने प्रकरण में फरार चल रहे अकरम उर्फ बिजली को खजराना क्षेत्र से पकड़ लिया। आरोपी पर पिछले 10 वर्षों से फर्जी दस्तावेज तैयार कर अवैध लाभ लेने और गंभीर अपराधियों की जमानत करवाने का आरोप है। इसी गिरोह का एक सदस्य केदार डाबी भी, कल्पेश याग्निक आत्महत्या केस में फर्जी ऋण पुस्तिका इस्तेमाल कर आरोपी सलोनी अरोरा की जमानत कराने के मामले में पहले ही पकड़ा जा चुका है।

कैसे चलता था फर्जी ऋण पुस्तिका से जमानत का गिरोह

इस गिरोह ने पुलिस की जांच में कबूल किया है कि वो खुद को या दूसरों को फर्जी जमानतदार बनाकर कोर्ट में फर्जी ऋण पुस्तिका पेश करते थे, जिससे गंभीर अपराधियों की भी आसानी से जमानत हो जाती थी। सालों से ये नेटवर्क इंदौर समेत आस-पास के जिलों में सक्रिय था। गिरोह के सदस्य असली जैसी दिखने वाली फर्जी कागजात और सरकारी रसीदें बनाते थे, जिससे कई अपराधियों को राहत मिलती रही। पुलिस ने अभी तक इस गिरोह से जुड़े 37 लोगों को गिरफ्तार किया है और बचे हुए फरार आरोपियों की तलाश जारी है।

अपराध शाखा की सख्ती और सतर्कता

पुलिस कमिश्नरेट के सख्त निर्देशों के चलते सभी थाना क्षेत्रों में धोखाधड़ी, जालसाजी और फर्जीवाड़े के मामलों की सघन जांच की जा रही है। डीसीपी क्राइम, एडिशनल डीसीपी समेत वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर ऐसे गिरोहों की पहचान और धरपकड़ के निर्देश दिए गए हैं। इसी सख्त कार्रवाई के तहत फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए तकनीकी निगरानी, मुखबिरों की सूचना और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की आधुनिक विधियों का सहारा लिया जा रहा है।

पुलिस बार-बार नागरिकों से अपील कर रही है कि वे अपने दस्तावेजों की सुरक्षा खुद करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल सूचना दें ताकि फर्जीवाड़ा पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।

इंदौर पुलिस का “नशे से दूरी है जरूरी” अभियान पहुंचा नए मुकाम पर, 85003 लोगों ने एक साथ ली ई-शपथ बन गया वर्ल्ड रिकॉर्ड

इंदौर में ट्रैफिक प्रबंधन में बेहतरीन सेवा के लिए 8 पुलिसकर्मियों को स्पेशल सम्मान दिया गया है। पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने सभी को प्रशस्ति पत्र और नगद इनाम देकर उनके जज़्बे को सराहा। इन पुलिसकर्मियों ने कई चौराहों पर यातायात कंट्रोल, भीड़ और बारिश के संकट में भी बिना थमे अपनी ज़िम्मेदारी निभाई।

इंदौर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा आम नागरिकों को सुरक्षित और सुविधाजनक यातायात देने के लिए हर सप्ताह उत्कृष्ट ड्यूटी करने वालों को सम्मानित किया जाता है। 29 जुलाई को पलासिया स्थित कमिश्नर ऑफिस में हुए साप्ताहिक सम्मान समारोह में 8 पुलिसकर्मियों को चयनित किया गया। इनमें एसीपी हिंदू सिंह मुवेल, प्रआर जितेंद्र यादव, आरक्षक सुमंत सिंह, रंजीत निनामा, रविशंकर, के पी बघेल, महिला आरक्षक सोनाली सोनी और शारदा गोखले शामिल रहीं। पुलिस कमिश्नर ने ट्रैफिक कंट्रोल, तेज बारिश और मुसीबत में भी डटे रहने वाले इन सभी को सम्मानित कर बाकी टीम को भी प्रेरित किया।

ट्रैफिक प्रबंधन में कठिनाई, फिर भी शानदार काम

शहर के अलग–अलग चौराहों पर जबरदस्त बारिश या त्योहारों की भीड़ में ट्रैफिक संभालना चुनौतीपूर्ण होता है। बीते दिनों तेज बारिश के दौरान एसीपी हिंदू सिंह मुवेल और सुमंत सिंह ने घंटों भीगी ड्यूटी की, कुछ ट्रैफिक सिपाहियों ने ट्रैफिक जाम के बीच भी संयम और जिम्मेदारी का परिचय दिया। इनकी त्वरित कार्रवाई और निर्णय क्षमता की आमजन एवं वरिष्ठ अधिकारियों दोनों ने तारीफ की। यातायात पुलिस के ये जवान हर दिन सड़क पर रहकर आम लोगों को राहत पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी वजह से उन्हें यह हफ्ते का सम्मान मिला।

समर्पण और सेवा की मिसाल, पुलिस कमिश्नर ने दिया नया संदेश

पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह के निर्देश पर इस तरह के इनाम अब हर सप्ताह दिए जा रहे हैं ताकि हर पुलिसकर्मी और अधिकारी मोटिवेट रहे और शहर को सुरक्षित रखने में हमेशा आगे बढ़कर काम करें। कार्यक्रम के मौके पर अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी सम्मानित हुए पुलिसकर्मियों की सराहना की और ड्यूटी के प्रति उनके समर्पण को मिसाल बताया।
पुलिस प्रशासन यह कोशिश कर रहा है कि उत्कृष्ट कार्य करने वालों को हर स्तर पर रिवॉर्ड मिल सके, जिससे पुलिसिंग को और बेहतर और नागरिक केंद्रित बनाया जा सके।

धरती के लिए उठे नन्हे हाथ, विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर बच्चों ने औषधीय पौधों के रोपण से दी हरी-भरी सीख

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के मौके पर इंदौर के सरकारी स्कूल में खास हरित पहल देखने को मिली। बच्चों ने अपने नन्हे हाथों से औषधीय पौधों का रोपण किया और वातावरण बचाने का संदेश दिया। बच्चों ने प्रकृति के करीब रहकर अपने व्यवहार और सोच में हरियाली लाने का साथ ही, हर सप्ताह पौधों की देखभाल का जिम्मा भी उठाया।

मालवमंथन की अगुवाई में आयोजित इस कार्यक्रम में पर्यावरणविद डॉ. स्वप्निल व्यास ने बच्चों को पेड़ लगाने की शिक्षा दी। उन्होंने समझाया कि पेड़-पौधों से जुड़ना सिर्फ पर्यावरण की चिंता नहीं, बल्कि संस्कृति, स्वास्थ्य और जिम्मेदारी भी है। बच्चों को प्राचीन भारतीय परंपराओं की ओर लौटने, तुलसी, पीपल, और नीम जैसे पौधों के महत्व को समझाया गया। औषधीय पौधों की जानकारी से बच्चों को यह भी बताया गया कि प्रकृति के संसाधन ही असली जीवन रक्षा हैं। ऐसे आयोजनों से बच्चों के भीतर संवेदना व जिम्मेदारी की भावना मजबूत होती है।

आयुर्वेद और पर्यावरण की अनमोल धरोहर

औषधीय पौधों का महत्व केवल आयुर्वेद तक सीमित नहीं, बल्कि वे हमारे पर्यावरण का भी संरक्षण करते हैं। तुलसी, नीम, गिलोय, एलोवेरा जैसे पौधे न केवल बीमारियों से बचाव में सहायक हैं, बल्कि वायु की गुणवत्ता बढ़ाने, कीट सरीसृप को दूर रखने में भी कारगर हैं। जब बच्चे खुद इन पौधों को रोपते हैं, पानी देते हैं और सहेजते हैं, तो उनके भीतर जिम्मेदारी की भावना पनपती है। ऐसे कार्यक्रम विद्यालय परिसर को न सिर्फ हराभरा बनाते हैं, बल्कि बच्चों को प्रकृति की गहराई से पहचान भी कराते हैं। पर्यावरण शिक्षण के इस व्यवहारिक तरीके से विद्यार्थियों में स्वयंसेवी संरक्षण की आदत पड़ती है, जिससे भविष्य में वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

बच्चों को प्रकृति से जोड़ने के फायदे और समाज के लिए संदेश

आज के भाग-दौड़ और शहरीकरण के दौर में बच्चों के जीवन में पेड़-पौधों से जुड़ना बेहद जरूरी है। जब वे खुद पौधों की जड़ों में मिट्टी भरते हैं और रोज उन्हें पानी देते हैं, तो यह केवल एक शारीरिक गतिविधि नहीं रहती, बल्कि उनके मन में दया, संवेदना और जिम्मेदारी बोती है। यह अनुभव किताबों से परे जा कर जीवन जीने की असली शिक्षा देता है। प्रधानाचार्य श्रीमती भारती वैष्णव ने भी इसी बात पर जोर दिया कि स्कूल में ऐसे आयोजन बच्चों में सकारात्मक सोच और संवेदनशीलता पैदा करते हैं। बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली और हर सप्ताह पौधों की देखभाल करने का संकल्प दोहराया।

इन सभी गतिविधियों ने बच्चों के मन में प्रकृति के प्रति आत्मीयता बढ़ाई है, जो आगे चलकर एक स्वच्छ, संवेदनशील और हरा-भरा समाज गढ़ने की नींव रखेगी।