31.2 C
Indore
Monday, May 12, 2025
AdvertismentGoogle search engineGoogle search engine
Homenewsमहाकुंभ 2025: किन्नर संतों का अद्भुत संसार और उनकी साधना

महाकुंभ 2025: किन्नर संतों का अद्भुत संसार और उनकी साधना

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में किन्नर संतों का संसार अद्भुत रूप से सुसज्जित और धार्मिक है। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में किन्नर अखाड़े के संत हर दिन कड़ी साधना और पूजा में लीन रहते हैं। इन संतों के जीवन में जो सबसे खास बात है, वह है उनका संपूर्ण रूप से सजना और तप के प्रति समर्पण।

महाकुंभ के इस अद्वितीय अनुभव में आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के अलावा, किन्नर अखाड़े के अन्य संतों का भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। आचार्य त्रिपाठी अपने रूप-रंग के प्रति बेहद सजग हैं और हर दिन अपने श्रृंगार में 3 घंटे का समय देती हैं। वह बताती हैं, "हम अपने प्रभु के लिए श्रृंगार करते हैं, और यह हमारी आस्था का प्रतीक है।"
महामंडलेश्वर त्रिपाठी और उनके साथ आने वाले किन्नर संत 4 घंटे तक भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिसमें रुद्राभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। इन संतों का विश्वास है कि यह साधना उन्हें मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करती है।

महाकुंभ में किन्नर संतों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि यह है कि इनका अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ मिलकर शाही स्नान करता है और उनके महत्व को सभी संप्रदायों में स्वीकार किया गया है। किन्नर अखाड़ा अब न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुका है।

किन्नर आर्ट विलेज: इस बार महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने एक “किन्नर आर्ट विलेज” स्थापित किया है, जिसमें पेंटिंग, मूर्तिकला, और फोटोग्राफी के साथ कई कला प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। यह पहल किन्नर समुदाय के कलात्मक और सांस्कृतिक पक्ष को दर्शाएगी और उनकी पहचान को और मजबूत करेगी।

सामाजिक मीडिया पर प्रसिद्धि: आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और किन्नर अखाड़े के अन्य संतों की सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त फॉलोइंग है। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लाखों लोग इनकी प्रेरणा लेते हैं और इनके संदेश को फैलाते हैं।

किन्नरों के संघर्षों की कहानी: डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के जीवन में संघर्ष की कोई कमी नहीं रही। उन्होंने न केवल किन्नर समाज के लिए अपने संघर्षों के बारे में बताया, बल्कि समाज में उनके प्रति धारणा बदलने के लिए कई किताबें भी लिखी हैं। उनके द्वारा लिखी गई “मी हिजड़ा-मी लक्ष्मी” और “द रेड लिप्स्टिक मेनन माई लाइफ” जैसी किताबों ने किन्नर समाज की वास्तविकता को सामने रखा है और समाज की धारा को नया मोड़ दिया है।

भारत में किन्नरों का ऐतिहासिक महत्व: भारत में किन्नरों का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वेदों और रामायण काल से जुड़ा हुआ है। वे भारतीय संस्कृति में उपदेवता के रूप में सम्मानित रहे हैं।

आचार्य त्रिपाठी ने इस महान संघर्ष के बाद किन्नरों को उनका rightful स्थान दिलवाया, और अब किन्नर अखाड़ा महाकुंभ में अपनी पहचान बनाने में सफलता प्राप्त कर रहा है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments