खरगोन में नागपंचमी के मौके पर मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखने को मिली। नागमंदिरों व शिवालयों पर श्रद्धालुओं ने दूध, जल, सिंदूर आदि से नागदेवता व भगवान शिव का पूजन किया। लोगों ने नागभय से मुक्ति और सुख-शांति के लिए प्रार्थना की। शहर के प्रमुख मंदिरों में पूरे दिन धार्मिक आयोजन चलते रहे।
पंचमी तिथि पर नागपंचमी का पर्व पूरे जिले में हर्षोल्लास से मनाया गया। सुबह शुरू हुआ मंदिरों में दर्शन-पूजन का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। दामखेड़ा मंदिर, बीटीआई रोड के मोटा भिलट देव मंदिर, डीआईजी कार्यालय के सामने स्थित नाग मंदिर और अन्य शिवालयों में हजारों श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक और पूजन किया। हर जगह भक्तों ने परंपरागत सामग्री जैसे दूध, जल, सिंदूर और फूल अर्पित कर अपने परिवार के सुख, शांति और नागदेवता की कृपा की कामना की। नाग मंदिरों की सजावट और धार्मिक अनुष्ठानों से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिरस से सराबोर रहा।
प्रमुख मंदिरों और आयोजन स्थलों की खास रौनक
खरगोन शहर से बाहर दामखेड़ा मंदिर, बीटीआई रोड का मोटा भिलट देव और डीआरपी लाइन के पंचमुखी भिलट देव मंदिर इस बार भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने। यहां सुबह से लेकर देरशाम तक भक्तों का तांता लगा रहा। पुलिस प्रशासन द्वारा व्यवस्था बनाए रखने के इंतजाम किए गए। इसके अलावा डीआईजी कार्यालय के सामने स्थित नाग मंदिर, साथ ही शहर के दर्जनों अन्य मंदिरों में भी दिनभर नागदेवता का विशेष पूजन, हवन और भजन-कीर्तन हुए। महिलाओं और बच्चों ने परंपरागत वस्त्रों में पूजा की, युवाओं ने शिव मंत्र और नागदेवता की कथाएं सुनीं।
नागपंचमी की मान्यता और श्रद्धा का संदेश
नागपंचमी का पर्व भगवान शिव के गले में वास करने वाले नागदेवता को समर्पित है। लोक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नागदेवता और भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को नागभय से मुक्ति, परिवार की सुरक्षा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। दंतकथाओं और पुराणों के अनुसार, दूध अर्पित करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं। खरगोन में भी इस पुराने विश्वास के साथ हर उम्र के श्रद्धालु मंदिरों में उमड़े। कई परिवारों ने सांपों का संरक्षण और प्रकृति के प्रति जागरूकता का भी संदेश दिया। मंदिर प्रांगण में आयोजित सत्संग और भजन संध्या में श्रद्धा और उत्साह साफ नजर आया।