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Wednesday, September 17, 2025
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खरगोन की कृष्णकुंज कॉलोनी में श्रीकृष्णेश्वर महादेव मंदिर का 9वां प्रतिष्ठा उत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया, यज्ञ और भंडारे से हुआ समापन

खरगोन की कृष्णकुंज कॉलोनी में बुधवार को श्रीकृष्णेश्वर महादेव मंदिर का 9वां स्थापना दिवस बड़े श्रद्धा-भाव के साथ मनाया गया। तीन दिनों तक चले इस धार्मिक आयोजन का समापन यज्ञ पूर्णाहुति और विशाल भंडारे के साथ हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

श्रीकृष्णेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित तीन दिवसीय प्रतिष्ठा उत्सव का समापन बुधवार को भक्तिमय वातावरण के बीच संपन्न हुआ। इस मौके पर मंदिर समिति की ओर से देवी-देवताओं का विशेष अभिषेक और श्रृंगार किया गया। दोपहर में यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ ही एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें न सिर्फ कॉलोनी के बल्कि आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। सभी ने दर्शन करने के बाद प्रसादी का लाभ लिया और पूरे आयोजन को धार्मिक भावनाओं के साथ संपन्न किया।

भजन-कीर्तन और जयकारों से गूंज उठा मंदिर परिसर

प्रतिष्ठा उत्सव के अंतिम दिन का माहौल बेहद दिव्य और भक्तिमय रहा। मंदिर प्रांगण में सुबह से ही भजन-कीर्तन की स्वर लहरियों से वातावरण सरस हो गया था। श्रद्धालु जयकारे लगाते हुए मंदिर पहुंचे और महादेव के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूरा आयोजन व्यवस्थित ढंग से संचालित किया। सजे-धजे देव प्रतिमाओं के श्रृंगार और पुष्पसज्जा ने हर किसी का मन मोह लिया। बच्चों, बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर इस आयोजन को खास बना दिया। खास बात यह रही कि न सिर्फ कृष्णकुंज कॉलोनी बल्कि आस-पास के क्षेत्र जैसे सुभाष नगर, बालकुंज और रामकृष्ण विहार से भी बड़ी संख्या में लोग भंडारे में शामिल हुए।

भंडारे में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, धार्मिक एकता की झलक

भंडारे की शुरुआत यज्ञ पूर्णाहुति के बाद दोपहर में हुई, जहां एक साथ सैकड़ों लोगों ने बैठकर प्रसादी ग्रहण की। भंडारे में सादा मगर स्वादिष्ट भोजन परोसा गया, जिसे श्रद्धालुओं ने प्रेमपूर्वक ग्रहण किया।

ऐसे आयोजनों से न सिर्फ धार्मिक भावना मजबूत होती है, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का संदेश भी फैलता है। मंदिर समिति ने यह संदेश दिया कि मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने की एक मजबूत कड़ी भी है।

पूरे आयोजन में श्रद्धालु न केवल भक्तिभाव में डूबे रहे, बल्कि एक-दूसरे से मिलकर सौहार्द और मेलजोल का माहौल भी देखने को मिला। हर उम्र के लोगों ने इसमें अपनी-अपनी भूमिका निभाई और आयोजन को सफल बनाया।

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