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Saturday, August 2, 2025
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इंदौर में 27 जुलाई को ‘No to Drugs’ मैराथन दौड़ का आयोजन, नेहरू स्टेडियम से होगी शुरुआत, नशा मुक्ति का अनोखा संदेश

इंदौर पुलिस एक बार फिर नशे के खिलाफ कुछ नया लेकर आ रही है। इस बार बात दौड़ की है, लेकिन सिर्फ रेस की नहीं, बल्कि जागरूकता की। 27 जुलाई को सुबह 6 बजे नेहरू स्टेडियम से एक मैराथन आयोजित की जा रही है, जो युवाओं और आम लोगों को ‘No to Drugs’ का संदेश देगी।

“नशे से दूरी है ज़रूरी” अभियान के तहत इंदौर पुलिस लगातार अलग-अलग तरह के कार्यक्रम कर रही है। इसी सिलसिले में अब एक मैराथन दौड़ का आयोजन किया जा रहा है, जो 27 जुलाई को सुबह 6 बजे नेहरू स्टेडियम से शुरू होगी। इस दौड़ का मकसद सिर्फ फिजिकल फिटनेस को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि समाज को यह समझाना है कि नशा छोड़ो, सेहत चुनो।

पुलिस की ये पहल खासकर युवाओं के बीच पॉजिटिव सोच फैलाने के लिए है। बिना भाषण दिए, बिना नारे लगाए, सिर्फ दौड़ते हुए हर कदम पर लोग एक मजबूत मैसेज देंगे कि ज़िंदगी रफ्तार से जिए, नशे के बोझ में नहीं।

नशा मुक्ति के लिए फिटनेस से जोड़ी गई ये खास पहल

इंदौर पुलिस का यह आयोजन युवाओं को शारीरिक सक्रियता की ओर मोड़ने का तरीका भी है। आज के समय में जब नशे की आदतें धीरे-धीरे स्कूल और कॉलेज तक पहुंच रही हैं, ऐसे में ये मैराथन सीधे उस पीढ़ी से जुड़ने की कोशिश है जो देश का भविष्य है।

इस मैराथन के ज़रिए इंदौर पुलिस ये दिखाना चाहती है कि नशा करने की जगह लोग दौड़ें, खेलें, सेहतमंद बनें और खुश रहें। पुलिस अफसर, स्कूल-कॉलेज के छात्र, सामाजिक संगठन और शहर के आम लोग इस दौड़ का हिस्सा बनकर एक साथ नशा के खिलाफ खड़े होंगे।

शहरवासियों को सिर्फ दौड़ने के लिए नहीं, बल्कि एक सोच का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया है। नेहरू स्टेडियम से निकलने वाली ये दौड़ हर मोड़ पर यही बोलेगी ‘No to Drugs, Yes to Life’.

समाज को जोड़ने और संदेश फैलाने की मुहिम

ये सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि एक सोच है जिसमें हर उम्र के लोग शामिल हो सकते हैं। कोई उम्र सीमा नहीं, कोई रजिस्ट्रेशन फीस नहीं बस अपने कदमों से एक बदलाव लाने की चाह होनी चाहिए।

इंदौर पुलिस चाहती है कि इस तरह के आयोजन से समाज में ये विश्वास जगे कि पुलिस सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी आगे खड़ी है। नशे की गिरफ्त से निकलना मुश्किल जरूर है, लेकिन अगर एक शहर एक साथ खड़ा हो जाए, तो बदलाव नामुमकिन नहीं।

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