इंदौर पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम को फर्जी ऋण पुस्तिका से जमानत दिलवाने के रैकेट में तीन साल से छिपे आरोपी को दबोचने में बड़ी सफलता मिली है। अब तक की कार्रवाई में कुल 37 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। गिरोह के सदस्य खुद या दूसरों को फर्जी जमानतदार बनाकर गंभीर केसों में कोर्ट से अवैध तरीके से जमानत दिलवा रहे थे।
शहर में धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम के लिए पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और डीसीपी क्राइम के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी। इसी जांच के दौरान एसआईटी ने पुराने प्रकरण में फरार चल रहे अकरम उर्फ बिजली को खजराना क्षेत्र से पकड़ लिया। आरोपी पर पिछले 10 वर्षों से फर्जी दस्तावेज तैयार कर अवैध लाभ लेने और गंभीर अपराधियों की जमानत करवाने का आरोप है। इसी गिरोह का एक सदस्य केदार डाबी भी, कल्पेश याग्निक आत्महत्या केस में फर्जी ऋण पुस्तिका इस्तेमाल कर आरोपी सलोनी अरोरा की जमानत कराने के मामले में पहले ही पकड़ा जा चुका है।
कैसे चलता था फर्जी ऋण पुस्तिका से जमानत का गिरोह
इस गिरोह ने पुलिस की जांच में कबूल किया है कि वो खुद को या दूसरों को फर्जी जमानतदार बनाकर कोर्ट में फर्जी ऋण पुस्तिका पेश करते थे, जिससे गंभीर अपराधियों की भी आसानी से जमानत हो जाती थी। सालों से ये नेटवर्क इंदौर समेत आस-पास के जिलों में सक्रिय था। गिरोह के सदस्य असली जैसी दिखने वाली फर्जी कागजात और सरकारी रसीदें बनाते थे, जिससे कई अपराधियों को राहत मिलती रही। पुलिस ने अभी तक इस गिरोह से जुड़े 37 लोगों को गिरफ्तार किया है और बचे हुए फरार आरोपियों की तलाश जारी है।
अपराध शाखा की सख्ती और सतर्कता
पुलिस कमिश्नरेट के सख्त निर्देशों के चलते सभी थाना क्षेत्रों में धोखाधड़ी, जालसाजी और फर्जीवाड़े के मामलों की सघन जांच की जा रही है। डीसीपी क्राइम, एडिशनल डीसीपी समेत वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर ऐसे गिरोहों की पहचान और धरपकड़ के निर्देश दिए गए हैं। इसी सख्त कार्रवाई के तहत फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए तकनीकी निगरानी, मुखबिरों की सूचना और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की आधुनिक विधियों का सहारा लिया जा रहा है।
पुलिस बार-बार नागरिकों से अपील कर रही है कि वे अपने दस्तावेजों की सुरक्षा खुद करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल सूचना दें ताकि फर्जीवाड़ा पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।