इंदौर – मालवमंथन के प्रकल्प “विसर्जन से सृजन” के अंतर्गत शासकीय आदिवासी एवं खंड स्तरीय अनु जाति कन्या छात्रावास सीनियर मोती तबेला इंदौर में “आरोग्य गणेश”थीम पर ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा निर्माण कार्यशाला का आयोजन हुआ। छात्राओं ने मिट्टी से प्रतिमा बनाते समय उसमें तुलसी, अश्वगंधा, अपराजिता और पारिजात जैसे औषधीय पौधों के बीज भी समाहित किए। यह प्रयोग इस बात का प्रतीक बना कि गणेशोत्सव केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि प्रकृति और स्वास्थ्य को जोड़ने वाला जीवनमूल्य है। कार्यक्रम के संयोजक पर्यावरणविद डॉ.स्वप्निल व्यास ने अपने उद्बोधन में कहा भारतीय संस्कृति में हर परंपरा का गहरा वैज्ञानिक आधार रहा है। गणेशोत्सव का मूल भाव भी यही है कि हम मिट्टी और जल को प्रदूषित न करें, बल्कि जीवनदायी बनाएँ। आरोग्य गणेश का स्वरूप इस वर्ष और भी विशेष है,क्योंकि प्रतिमाओं में औषधीय पौधों के बीज स्थापित किए जा रहे हैं। जब विसर्जन होगा, तब यह प्रतिमाएँ मिट्टी में मिलकर नए पौधों को जन्म देंगी। यह सच्चा विसर्जन है, जहाँ अंत नहीं बल्कि सृजन होता है। उन्होंने आगे कहा तुलसी से वायु शुद्ध होती है, अश्वगंधा तन-मन को शक्ति देती है, अपराजिता और पारिजात से वातावरण सुगंधित और औषधीय बनता है। प्रतिमा में इन बीजों का समावेश हमारी धरती के लिए नया जीवन है। यह गणेश प्रतिमा जब मिट्टी में विलीन होगी, तो उसमें से जीवन का अंकुर फूटेगा और यह हमें याद दिलाएगा कि गणपति बप्पा केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि प्रकृति और स्वास्थ्य के भी संरक्षक हैं। डॉ. व्यास ने बच्चों से आग्रह किया कि वे आने वाले समय में भी उत्सवों को केवल भोग-विलास का माध्यम न बनाएं, बल्कि उन्हें पर्यावरण और समाज के लिए उपयोगी बनाएं। छात्रावास अधीक्षिका श्रीमती ज्योति जोशी ने कहा आज बच्चियों ने मिट्टी से गणेश बनाकर उनमें औषधीय पौधों के बीज बोए हैं। यह परंपरा को निभाने के साथ ही प्रकृति को संवारने का कार्य है। यह छोटा कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा संदेश है कि हम अपनी जड़ों और जीवनदायी धरती से जुड़े रहें। कार्यक्रम में विशेष रूप में गो-सेवा के वरिष्ठ विजय कोठारी के साथ छात्रावास की बालिकाओं के अलावा कार्यालयीन स्टाफ और पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे।

