भारत में विश्व की कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है,जबकि देश में पीने योग्य जल संसाधनों का मात्र 4 प्रतिशत भाग ही उपलब्ध है। देश में अत्यधिक जल दोहन तथा अकुशल प्रबंधन के कारण भू-जल स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है। इसके परिणामस्वरूप आने वाले समय में देश को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। अगर हम गंभीर नही हुए तो 2050 तक भारत के 50% से ज्यादा जिलों में पानी का विकट संकट हो सकता है। 76% भारतीयों के पास अभी भी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है।

लेकिन आज भी हम प्रकृति के सबसे अनमोल उपहार की कद्र नही कर रहे है आज हमारे पास पानी है तो उसकी अहमियत हम नही जान रहे हैं। लेकिन अब समय आ गया है। जल की हर बूंद का हिसाब रखने का उक्त उदगार पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास ने विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में मालवमंथन द्वारा खंड स्तरीय अ.जा कन्या छात्रावास सीनियर मोती तबेला एवं कन्या छात्रावास छत्रीबाग मेंआयोजित “जल शपथ” में व्यक्त किए कार्यक्रम का संचालन अधीक्षिका ज्योति जोशी ने किया वही आभार योगिता सोनी ने माना कार्यक्रम में छात्रावास की 50 बालिकाए उपस्थित रहे