नई दिल्ली: विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का नोटिस मंगलवार को सौंपा। इस नोटिस पर लगभग 60 सांसदों के हस्ताक्षर हैं, और इसे राज्यसभा के सचिवालय में प्रस्तुत किया गया है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भी ट्विटर के माध्यम से इस प्रस्ताव की जानकारी दी। इस प्रस्ताव के पीछे विपक्ष का तर्क है कि सभापति धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है।
राज्यसभा और उपराष्ट्रपति का संबंध
उपराष्ट्रपति, संविधान के अनुसार राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें उनके पद से तब हटाया जा सकता है जब उन्हें उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाए। यह प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में स्पष्ट की गई है। इसके अनुसार, उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है, जिसे लोकसभा से भी मंजूरी प्राप्त होनी चाहिए। इसके लिए राज्यसभा में प्रस्ताव को बहुमत से पारित करना आवश्यक है।
उपराष्ट्रपति को हटाने का तरीका
उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है, न कि लोकसभा में। इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 14 दिन पहले नोटिस देना आवश्यक होता है। इसके बाद ही प्रस्ताव को पेश किया जा सकता है। राज्यसभा में इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद उसे लोकसभा में भी पारित कराना होगा।
समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस का रुख
समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, हालांकि दोनों दल कांग्रेस के नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शनों से अलग रहे हैं। राज्यसभा के सभापति के खिलाफ विपक्ष के आरोपों में मुख्य तौर पर यह बात सामने आई है कि उन्होंने कार्यवाही में पक्षपाती रवैया अपनाया।
क्या इससे पहले भी आया है प्रस्ताव?
भारत में उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कभी भी कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है, हालांकि 1963 के बाद से कई प्रधानमंत्रियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रस्ताव पारित हुए हैं, जिससे प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था।
विपक्ष द्वारा उठाए गए इस प्रस्ताव के बाद यह सवाल उठता है कि क्या वे इस बार उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटा पाएंगे या यह केवल एक रणनीतिक कदम रहेगा।