प्रयागराज : महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है, और पौष पूर्णिमा के इस विशेष अवसर पर पहला स्नान हुआ। आज सुबह साढ़े 9 बजे तक 60 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। अनुमान है कि यह आंकड़ा 1 करोड़ तक पहुँच सकता है। इस मौके पर श्रद्धालु 12 किमी पैदल चलकर संगम पहुंचे, और विदेशी भक्तों ने भी ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए।
महाकुंभ का यह पहला स्नान एक ऐतिहासिक और धार्मिक महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं। कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, और इस आयोजन में लाखों लोग अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाने के लिए भाग लेते हैं।
धार्मिक आस्था और श्रद्धा का अद्भुत दृश्य
महाकुंभ का यह पहला स्नान महोत्सव विशेष रूप से पौष पूर्णिमा के दिन हुआ, जो हिन्दू धर्म के अनुसार बहुत ही पवित्र और फलदायक माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन संगम में डुबकी लगाने के लिए काफी उत्साहित थे, क्योंकि इसे आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के रूप में देखा जाता है। इस अवसर पर मंदिरों और घाटों के आसपास का वातावरण धार्मिक नारे और भव्य पूजाओं से गूंज उठा।
महाकुंभ के आयोजन से जुड़ी विशेषताएं
महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हर 12 वर्ष में एक बार होता है, और यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है। यह आयोजन न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर होता है। लाखों लोग यहां अपने पापों को धोने, मोक्ष प्राप्ति और आत्मिक शांति के लिए स्नान करते हैं।