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Friday, August 1, 2025
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Indore: अमित पटेल के निलंबन पर रोक, मारपीट मामले में कार्रवाई

इंदौर, 5 घंटे पहले – इंदौर एयरपोर्ट पर यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु उदय चिब के सामने हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट मामले में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमित पटेल के निलंबन पर रोक लगा दी गई है। यह कार्रवाई यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एवं मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रभारी शेष नारायण ओझा की पहल पर की गई।

घटना का विवरण

यह विवाद इंदौर एयरपोर्ट पर हुआ था, जब यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु उदय चिब के सामने कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो गई थी। इसके बाद इस मामले में कार्रवाई करते हुए अमित पटेल को निलंबित किया गया था। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में इस कार्रवाई को लेकर असहमति जताई गई थी।

असहमति का कारण

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में इस कार्रवाई को लेकर असहमति पाई गई। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह तथा प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख कमल पटवारी ने निलंबन के निर्णय पर आपत्ति जताई थी। इन नेताओं ने मामले की गहन जांच की आवश्यकता और उचित प्रक्रिया की ओर संकेत किया था। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि निलंबन पर तत्काल रोक लगाई जाए और मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।

शेष नारायण ओझा का बयान

मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रभारी शेष नारायण ओझा ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि निलंबन की कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है और अब इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी किसी भी प्रकार के अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगी, लेकिन हर कार्यकर्ता को न्याय का अधिकार भी है।

आगामी कदम

अब इस मामले में पार्टी के उच्चाधिकारियों द्वारा जांच की जाएगी। इस जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा कि क्या इस मामले में और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है या नहीं। इसके साथ ही, पार्टी के कार्यकर्ताओं को इस तरह के घटनाओं से बचने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

पटवारी और दिग्विजय सिंह का समर्थन

दिग्विजय सिंह और पटवारी ने इस मामले में अमित पटेल के पक्ष में खुलकर समर्थन किया और कहा कि एकतरफा कार्रवाई से पार्टी के भीतर असंतोष फैल सकता है। दोनों नेताओं का कहना था कि बिना उचित जांच के किसी कार्यकर्ता को सजा देना अनुचित होगा।

इस घटना ने इंदौर में कांग्रेस के भीतर असंतोष और संगठनात्मक मुद्दों को भी उजागर किया है। अब देखना यह होगा कि पार्टी इस मामले को किस दिशा में ले जाती है और क्या इसके बाद कार्यकर्ताओं के बीच कोई तनाव उत्पन्न होता है या नहीं।

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