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Friday, August 1, 2025
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वीर अलीजा सरकार धाम में गुरुपूर्णिमा महोत्सव की भव्य छटा, काठियावाड़ी थीम पर सजा दरबार , देखने वाले मुग्ध

सुबह 5बजे से देर शाम हजारों भक्त पहुंचे सरकार के दरबार में दिनभर भजन कीर्तन ओर महाप्रसादी मंदिर हाल से बाहर तक भक्तों की कतार , 100 से ज्यादा भक्त तीन अलग अलग सत्र में  व्यवस्थाएं में बने सेवादार

इंदौर। गुरुपूर्णिमा पर ख्यातिप्राप्त वीर अलीजा सरकार धाम में भव्य आयोजन किया गया। मंदिर परिसर को काठियावाड़ी पद्धति (थीम) के आधार पर अत्यंत सुंदरता से सजाया गया था। पूरा आयोजन अल सुबह 5 बजे से देर रात तक चला, जिसमें 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए। सुबह 5 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ वीर अलीजा सरकार हनुमानजी का चोला चढ़ाया गया एवं विशेष श्रृंगार किया गया। सफेद मोतियों की लाल वेलवेट की पोषक को निहारते ही भक्त निहाल हो गए। श्रृंगार आरती पश्चात पूज्य साकेतवासी कैलाशनंदजी, पूज्य ओंकारानंद जी एवं पूज्य श्री श्री 1008 प्रभुवानंद जी की चरण पादुका पूजन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सुबह 8 बजे से गादीपति ब्रह्मचारी पवनानंद जी महाराज का पद-पादुका पूजन प्रारंभ हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा। इस दौरान मंदिर परिसर में दिनभर भजन-कीर्तन, सत्संग, और पूजन अनुष्ठान आयोजित किए गए।

400 वर्षों से अधिक प्राचीन इस मंदिर में शाम को भजन संध्या, महाआरती और महाप्रसादी वितरण का भी आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने आस्था और भक्ति के साथ भाग लिया। विशेष आकर्षण रहा मंदिर का श्रृंगार – लाल वेलवेट पर हजारों मोतियों से बनी पोशाक, दिव्य पगड़ी और सज्जा ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शनार्थियों की भीड़ दिनभर उमड़ती रही, हर कोई अद्भुत सज्जा और दिव्यता प्रदान कर रहे थे । गुरुपूर्णिमा का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक पर्व बना, बल्कि भक्ति, परंपरा और सांस्कृतिक सौंदर्य का अनुपम संगम भी सिद्ध हुआ।

संस्कारी का भान युवाओं को करना जरूरी, मामा पिता और गुरु  की सेवा से मिलेगा जीवन में आदर्श  स्थान

ब्रह्मचारी पवनानंद महाराज

गादीपति पावनंद महाराज ने कहा कि आज हमारे नौजवान युवा पीढ़ी को धर्म संस्कार के जोड़े रखने की बेहद आवश्यकता हैं, युवाओं को भी आवश्यक है की माता-पिता और गुरु के कहे अनुसार जीवन को आगे बढ़े क्योंकि इसे ज्यादा बेहतर उनके भविष्य के लिए कोई शुभचिंतक नहीं हो सकता, आज के समय में समझ में धर्म संस्कृति के प्रति समर्पित और आदर्श प्रस्तुत करने वाले समाज के निर्माण की आवश्यकता है।

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