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Monday, October 20, 2025
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राखी का त्योहार, पेड़ों से वादा हमारी धरती को बचाने का….

मालवमंथन द्वरा आयोजित वृक्षाबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत “सबसे पहली राखी पेड़ के नाम” आयोजन ने एक नई परंपरा की शुरुआत की। श्रीमती रुक्मणीबेन दीपचंद भाई गार्डी नर्स प्रशिक्षण केंद्र, एमओजी लाइन, इंदौर में आयोजित इस अद्वितीय कार्यक्रम में पर्यावरण और रिश्तों की आत्मीयता को जोड़ते हुए पेड़ों को राखी बांधने की प्रक्रिया ने सभी को भावुक कर दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यावरणविद डॉ. स्वप्निल व्यास ने राखी और पर्यावरण संरक्षण के रिश्ते को समझाते हुए कहा, “राखी न केवल एक धागे का प्रतीक है, बल्कि यह एक भाई-बहन के रिश्ते की सजीव अभिव्यक्ति है। इस दिन को हम अपने पर्यावरण से भी जुड़ने का अवसर मान सकते हैं। जब हम पेड़ को राखी बांधते हैं, तो यह हमारे और प्रकृति के बीच एक अनकहे रिश्ते का प्रतीक बन जाता है। यह हमारे प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और प्यार का प्रतीक है।” डॉ. व्यास ने चिपको आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा,”चिपको आंदोलन ने हमें यह सिखाया कि जब हमें किसी के साथ प्यार और सच्चे रिश्ते से जुड़ना होता है, तो हमें उसका हर हाल में बचाव करना चाहिए।

महिलाओं और बेटियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना पेड़ों से अपनी भावनात्मक जुड़ाव को प्रकट किया था। आज हम वही धारा आगे बढ़ा रहे हैं, जहाँ राखी के साथ पर्यावरण की रक्षा की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है।”कार्यक्रम में वैशाली खरे ने कहा राखी का यह पर्व हमें रिश्तों की अहमियत समझाता है, और हम जब पेड़ों को राखी बांधते हैं, तो यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक कसम है अपने पर्यावरण को बचाने की, पेड़ों को संरक्षित रखने की। बेटियाँ न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। मालवमंथन के इस भावनात्मक और प्रेरणादायक कार्यक्रम ने न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम बढ़ाया, बल्कि समाज को यह भी सिखाया कि रिश्तों की तरह पर्यावरण से हमारा जुड़ाव भी एक पवित्र और अमिट संबंध है। पेड़ों के प्रति प्यार और संरक्षण का यह कदम एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है, जहां हर व्यक्ति अपने छोटे से प्रयास से धरती को हरा-भरा बना सकता है। कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्या डॉ. लवली ए जोशी ने वृक्ष पूजन एवं रजनी बंडी जैन ने स्वयं द्वारा हस्तनिर्मित इकोफ्रेंडली राखी बांध कर की कार्यक्रम का संचालन प्रो.विकास विश्वकर्मा ने किया आभार डॉ सोनम दुबे ने माना कार्यक्रम में पुखराज गहलोत,डॉ सपना सिंह के साथ महाविद्यालय के प्राध्यापकों सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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