खरगोन। शहर में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार जानलेवा साबित हो रहा है, और इस बार 4 वर्षीय मासूम आलिया मंसूरी इसकी भेंट चढ़ गई। रविवार को संजय नगर बिलाल मस्जिद क्षेत्र की आलिया की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर प्रशासन और नगर पालिका की घोर लापरवाही की पोल खोल दी है। 23 जून को कुत्तों के हमले में गंभीर रूप से घायल हुई बच्ची को उचित उपचार न मिल पाने के कारण उसकी जान चली गई।
आलिया की मौत की खबर मिलते ही जिला अस्पताल के पीएम रूम पर वार्ड पार्षद वारिस चौबे सहित स्थानीय रहवासियों और परिजनों का भारी हुजूम उमड़ पड़ा। सभी ने प्रशासन और नगर पालिका के प्रति गहरा आक्रोश व्यक्त किया। बदहवास पिता एजाज मंसूरी ने बताया कि 23 जून से उनकी बेटी का लगातार उपचार चल रहा था। शनिवार रात करीब 9 बजे आलिया की तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह घबराने लगी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां बच्चों के आईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया। रविवार सुबह हालत और बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे इंदौर रेफर कर दिया। लेकिन दुखद यह रहा कि कसरावद रोड मेला मैदान के समीप ही एम्बुलेंस में आलिया ने दम तोड़ दिया।

बच्ची के शव को वापस जिला अस्पताल लाया गया, जहां उसका पोस्टमार्टम किया गया।
एजाज मंसूरी ने अपनी बेटी की मौत के लिए सीधे तौर पर अस्पताल प्रबंधन और नगर पालिका प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि यदि उनकी बेटी को समय पर और उचित उपचार मिलता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। यह घटना खरगोन में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे और उससे निपटने में प्रशासन व नगर पालिका की निष्क्रियता का जीता-जागता उदाहरण है। आखिर कब तक शहर के मासूम बच्चे इस लापरवाही का शिकार होते रहेंगे?