इंदौर, गणेश चतुर्थी का पावन पर्व निकट है, और इस वर्ष भक्तगणों में पर्यावरण-अनुकूल (eco-friendly) गणेश प्रतिमाओं को लेकर एक विशेष उत्साह देखा जा रहा है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए, मित्तल टेंट हाउस ने गोमय गणेश (देसी गाय के गोबर से बनी गणेश प्रतिमा) की एक अनूठी पहल शुरू की है, जो न केवल धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करती है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।
सनातन संस्कृति में गाय का महत्व सर्वोपरि है। गोबर और गौमूत्र को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि गाय के गोबर में माता लक्ष्मी का वास होता है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है:
अपाने सर्वतीर्थानि गोमूत्रे जाह्नवी स्वयम्। धृतिः पुष्टिर्महालक्ष्मी: गोमये संस्थिताः सदा॥
यह परंपरा सदियों पुरानी है, जहां शुभ कार्यों में गोबर से बनी गणेश प्रतिमाओं की पूजा का विधान है, जैसा कि महेश्वर के गोबर गणेश मंदिर और नलखेड़ा के प्राचीन बगलामुखी मंदिर में भी देखा जा सकता है।
क्यों चुनें गोमय गणेश?
आज के समय में, जब पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, गोमय गणेश की प्रतिमाएं एक उत्कृष्ट विकल्प प्रस्तुत करती हैं। ये प्रतिमाएं मिट्टी और रसायनों से बनी मूर्तियों के विपरीत, विसर्जन के बाद जल प्रदूषण नहीं फैलातीं। इन्हें घर में ही गमले या बाल्टी में विसर्जित किया जा सकता है, जिससे यह खाद में बदल जाती हैं। इससे न केवल पवित्रता बनी रहती है, बल्कि यह प्रकृति के लिए भी वरदान साबित होती हैं।
मित्तल टेंट हाउस, नंदानगर, इंदौर, विभिन्न आकारों में आकर्षक गोमय गणेश प्रतिमाएं उपलब्ध करा रहा है। ये प्रतिमाएं उन सभी के लिए उपलब्ध हैं जो अपने घर, प्रतिष्ठान या संस्था में पारंपरिक और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से श्री गणेश की स्थापना करना चाहते हैं।
इस गणेश उत्सव, परंपरा और प्रकृति के सामंजस्य का उत्सव मनाएं।

