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Wednesday, August 6, 2025
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वन्य जीवों का संरक्षण ही प्रकृति और संस्कृति के पोषण की कुंजी है….

इंदौर – वन्य जीव किसी भी पारिस्थिति की तंत्र का अहम हिस्सा होते हैं।वे न केवल जैव विविधता को बनाए रखते हैं, बल्कि हमारे पर्यावरण को संतुलित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीव-जंतुओं का संरक्षण प्रकृति के पोषण के लिए आवश्यक है,क्योंकि वे जंगलों, नदियों और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने में योगदान देते हैं।भारत जैसी सांस्कृतिक रूप से समृद्ध सभ्यता में वन्य जीवों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। हिन्दू धर्म में गंगा नदी में रहने वाली मछलियों से लेकर भगवान गणेश के स्वरूप हाथी तक, वन्य जीव हमारी परंपराओं और आस्थाओं से जुड़े हुए हैं। उक्त उदगार तिवारी कृषि फार्म,ग्राम बदरखा,यशवंत सागर डेम इंदौर में विश्व वन्यजीव दिवस पर मालवमंथन द्वारा हर्बल फर्स्ट एड बॉक्स(औषधीय पौधों) का रोपण एवं संवाद कार्यक्रम में कृष्णायन गौशाला से आए स्वामी जी ने व्यक्त किए वही

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास ने कहा आज शिकार,जंगलों की कटाई और प्रदूषण के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं। यदि हम वन्य जीवों का संरक्षण नहीं करेंगे, तो न केवल पर्यावरण असंतुलित होगा,बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत भी कमजोर होगी। हमें भी अपने स्तर पर जागरूकता फैलानी चाहिए और प्रकृति के इस उपहार की रक्षा करनी चाहिए कार्यक्रम के सयोजक प्रदीप तिवारी ने बताया आज यहां हमने बच्चों के हाथों से विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों लगवाए एवं उन्हें विलुप्त होती वनस्पतियों के संरक्षण का महत्व बताया वहीं किशन आहूजा ने प्रकृति से रिश्ता जोड़कर जीवन में आने वाले सकारात्मक परिणामों के बारे में बताया कार्यक्रम में विजय कोठारी,पुखराज गहलोत,मधु आहूजा,डॉ.धर्मेंद्र जैसवाल,दीपक दुबे,मुस्कान,विशेष आहूजा के साथ क्षेत्र के विद्यार्थी एवं नागरिक उपस्थित रहे।

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