जबलपुर में दो दिन पहले स्टेट साइबर सेल और एसटीएफ ने 12 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया था। इन ठगों के गिरोह ने ऑनलाइन ठगी के जरिए लोगों से लाखों रुपये की ठगी की थी और हवाला नेटवर्क के तहत इन रकमों को ट्रांसफर किया जा रहा था। गिरोह की गिरफ्तारी के बाद अब कई अहम खुलासे हो रहे हैं। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे चार अलग-अलग टीमों की मदद से पूरे नेटवर्क को चलाते थे और टेरर फंडिंग में भी उनका हाथ था।
स्टेट साइबर सेल ने बुधवार को सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें दो सप्ताह का रिमांड मिला। अधिकारियों के अनुसार, इन ठगों ने कई लोगों को शिकार बनाया था और उनके खातों से बड़े पैमाने पर रकम निकाली थी। गिरफ्तार आरोपियों में से कई लोगों ने यह भी खुलासा किया कि वे हवाला नेटवर्क के माध्यम से विदेशों में मनी ट्रांसफर करते थे और इस प्रक्रिया में आतंकवादियों के लिए धन भी भेजते थे।
एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) पिछले डेढ़ साल से इन ठगों की गतिविधियों पर निगरानी रखे हुए था, क्योंकि इनकी फंडिंग से जुड़े संभावित आतंकवादी कनेक्शंस की जांच चल रही थी।
पुलिस ने इस गिरोह के सदस्यगणों से बरामद किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और बैंकिंग डेटा को खंगालने के बाद पाया कि यह गिरोह पूरी तरह से एक संगठित तरीके से काम कर रहा था। उनके पास लाखों रुपये की डिजिटल रकम और फर्जी बैंक खातों के कनेक्शंस मिले हैं, जिनका इस्तेमाल करके उन्होंने सैकड़ों लोगों से ठगी की थी।
अब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए सक्रिय रूप से कार्रवाई कर रही हैं और गिरफ्तार आरोपियों से मिले सुरागों के आधार पर और भी गिरफ्तारियां संभव हैं।
इस ठगी की जांच में स्टेट साइबर सेल और एसटीएफ ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है और इस मामले में अधिक गिरफ्तारियां होने की संभावना जताई जा रही है।